Monday, 20 September 2010

तीन और तीर्थों का होगा जीर्णोंद्धार

तीन और तीर्थों का होगा जीर्णोंद्धार
कैथल .जो समाज ऐतिहासिक पृष्ठभूमि नहीं जानता या फिर भूल जाता हैं। वह लावारिश पड़ जाता है। ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण एंव संवर्धन वर्तमान तथा उज्ज्वल भविष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा सूचक है। जिले में प्राचीन,अध्यात्मिक और पौराणिक विरासत को सहेजने, संरक्षित करने के लिए 1100 लाख रुपए की धनराखि खर्च की जा रही है। लगभग 748 लाख रुपए की लागत से पांच नवग्रह कुंडों के साथ नैमिष तीर्थ नौच, श्रृगी ऋषि सांघन, वेदवती तीर्थ बलवंती तथा लवकुश तीर्थ मुंदड़ी के जीर्णोद्वार का कार्य जारी है, जबकि 268 लाख रुपए की लागत से गोभवन तीर्थ गुहना, सूर्य कुंड तीर्थ सजुमा तथा ऋणमोचन तीर्थ सीवन के सुधारीकरण का कार्य आगामी तीन महीन में शुरू कर दिया जाएगा। यह जानकारी लोक निर्माण एंव जनस्वास्थ्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने स्थानीय किसान भवन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। सुरजेवाला ने बताया कि अतीत में अध्यात्मिक तथा पौराणिक आस्था के केंद्र जल संजय के स्त्रोत भी हुआ करते थे, जिनका सुधार करके सिचांई तथा स्नान इत्यादि के लिए उपयोगी बनाया जाएगा। सभी तीर्थ स्थल महाभारत कालीन तथा इससे भी पहले के हैं जिनका विभिन्न प्रकार से वैचारिक,दार्शनिक सांस्कृतिक और अघ्यात्मिक महत्व है, जो हमारी जीवन शैली, संस्कार, परपंराओं से जुड़ा है।

यहां इतनी राशि

गोभवन तीर्थ गुहणा का वर्णन महाभारत के साथ-साथ पदम पुराण में भी मिलता हैं। इसके जीर्णोद्वार के लिए 126 लाख रुपए की धनराशी स्वीकृत की गई है। सूर्यकुंड तीर्थ सजूमा का संबंध महर्षि वेदव्यास के परप्रतापी पुत्र सुकदेव से रहा है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर उन्होंने वर्षों तपस्या की थी। लगभग 20 एकड़ में फैले इस तीर्थ स्थल को संवारने के लिए सरकार ने इस तीर्थ के जीर्णोंद्वार के लिए 145 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की हैं।

बड़ा महत्व है इन तीर्थों का

ऋणमोचन तीर्थ के पक्का करने,जीर्णेद्वार इत्यादि कार्यो के लिए 27 लाख 40 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई हैं। पितृ, देव तथा ऋषि ऋण से छुटकारा इस तीर्थ का महत्व है। यहां चैत्र तथा कार्तिक महिने में भारी मेला लगता हैं, कुश्तियों के दंगल सजते हेैं। इसे जल संजय सरोवर के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका तीर्थ का ऋण मुक्ति के लिए अधिक महत्व बताया गया हैं। सामाजिक समरसता तथा सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतिक ये तीर्थ स्थल और विरासतें समाज, देश,सभ्यता और संस्कृति का सजग आईना हैं।

कुरुक्षेत्र से कम नहीं है कैथल

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश के ऐसे तीर्थ स्थलों को संरक्षित करने का बीडा उठाया हैं। कैथल जिले में स्थित तीर्थों की संख्या तथा महत्व कुरूक्षेत्र से कम नहीं हैं। अब जबकि जिले में ऐसे तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्वार का कार्य शुरू हो चुका है, ऐसे में इनका अध्यात्मिक स्वरूप अधिक निखर कर आएगा। इस अवसर पर किसान खेत मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशेर सिंह सुरजेवाला, पूर्व विधायक दिल्लूराम बाजीगर, प्रदेश कांग्र्रेस कमेटी के सदस्य कविराज शर्मा, संगठन सचिव दिलबाग मोर, एक्सईएन पब्लिक हैल्थ केके वर्मा उपस्थित थे।

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