अयोध्या फैसले पर जजों में ही मतभेद
जस्टिस धर्मवीर शर्मा का मानना है कि फैसला टालने की याचिका को रद्द नहीं किया जाना चाहिए था
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नई दिल्ली. अयोध्या पर मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद पर 59 वर्ष बाद आ रहे फैसले को लेकर मामली की सुनवाई करने वाली तीन सदस्यी खंडपीठ के जजों में भी मतभेद है। तीन जजों में से एक धर्मवीर शर्मा को फैसला टालने के संबंध में दायर की गई याचिका को रद्द करने पर अन्य दो जजों से मतभेद है।
धर्मवीर शर्मा का मानना है कि अयोध्या मामले को बातचीत से सुलझने की संभावना प्रबल है। जस्टिस शर्मा का कहना है कि जब खंडपीठ ने फैसला टालने संबंधी याचिका को रद्द करते वक्त उनकी राय नहीं ली गई।
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को आ रहे फैसले को टालने संबंधी याचिका को खंडपीठ ने शुक्रवार को खारिज कर दिया था। इससे ही यह तय हो गया था कि रामजन्मभूमि विवाद को लेकर फैसला 24 सितंबर को ही आएगा।
24 सितंबर को अपने फैसले में कोर्ट यह तय करेगा की रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है। फैसले में यह भी तय किया जाएगा कि क्या मस्जिद मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। बाबरी मस्जिद का मुद्दा भारत के सबसे विवादित और संवेदनशील मुद्दों में से एक है।
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