रफ्तार+ लापरवाही+रफ ड्राइविंग=64 मौत
सुखविंद्र सिंह & कैथल
तेज रफ्तारी, लापरवाही और रफ ड्राइविंग के चलते अब तक कैथल जिले की सड़कों पर 64 व्यक्तियों की मौत हो गई और 190 लोग घायल हो गए। हालांकि चालकों को चौकस करने के लिए पुलिस ने जिले में 18 खूनी प्वाइंट्स की पहचान की है। इनमें अधिकतर प्वाइंट्स पर अभी भी ट्रैफिक सिग्नल का अभाव है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा लोगों को जागरूक करने और पुलिस की सख्ती के कारण इस वर्ष बड़े हादसों में थोड़ी कमी आई है। यही नहीं कई वर्षों से खस्ताहाल नेशनल हाईवे नंबर 65 कैथल से क्योड़क और कलायत तक, कैथल से जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र और पटियाला मार्ग की सड़कें बनने और चौड़ी होने के कारण भी ट्रेफिक व्यवस्था में सुधार आया है। पिछले वर्ष इस अवधि में करीब 300 सड़क हादसे हुए थे और इनमें 110 व्यक्तियों की जान चली गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे।
थम नहीं रहा था सिलसिला: वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों की पालना न करने, तेजरफ्तारी और ओवरलोड वाहन के चलने के कारण लगातार सड़क हादसों में बढ़ौतरी हो रही थी। पुलिस विभाग के अनुसार 2007 में करीब 300 सड़क दुर्घटनाएं हुई।
इनमें 92 लोगों की मौत हुई और 250 से अधिक घायल हुए। वर्ष 2008 में ३२१ हादसे हुए। इनमें 110 लोगों की मौत हुई और 225 के करीब घायल हुए। इनमें से 8 लोगों की मौत हिसार-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे नंबर 65 पर गई जबकि 25 व्यक्तियों की मौत स्टे हाइवे कैथल से जींद, असंध से पानीपत, कुरुक्षेत्र, चीका से पटियाला और खनौरी पातड़ा रोड पर हुई। अन्य मार्गों पर 71 लोगों ने जान गंवाई।
१८ डेथ प्वाइंटों की पहचान: कैथल पुलिस ने बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए कैथल जिले में 18 डेथ प्वाइंटों की पहचान की है।
ट्रैफिक इंस्पेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में करनाल रोड बाईपास, अंबाला रोड बाईपास और जींद रोड बाईपास पर ट्रैफिक सिग्नल लाइटों का अभाव है। कैथल से क्योड़क राष्टï्रीय मार्ग संकुचित है। तितरम से कलायत, तारागढ़ से कसान के बीच, खरकपांडवा डे्रन पुल के पास तेजरफ्तारी व लापरवाही से हादसे हो रहे हैं। करनाल रोड पर मुंदड़ी नहर पुल संकुचित है और तीव्र मोड़, चीका पटियाला राजकीय मार्ग पर पौलड के पास तीव्र मोड़ और ढांड में पंचमुखी चौक सबसे खतरनाक हैं। कलायत का कैंची चौक, तितरम मोड़ व इंजीनियरिंग कालेज के समीप आदि मुख्य प्वाइंट हैं।
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