Wednesday, 20 October 2010

मनोज को मुर्राह भैंस का तोहफा

रोहताश शर्मा & कैथल बॉक्सर मनोज के मुक्के में स्फूर्ति और ताकत बरकरार रखने के लिए कैथल पहुंचने पर उसे मुर्राह भैंस...
रोहताश शर्मा & कैथल

बॉक्सर मनोज के मुक्के में स्फूर्ति और ताकत बरकरार रखने के लिए कैथल पहुंचने पर उसे मुर्राह भैंस का तोहफा दिया गया। राष्टï्रमंडल खेलों में प्रदेश के खिलाडिय़ों ने 'देसां में देस हरियाणा जित दही दूध घी का खाणाÓ वाली उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया। देश की मात्र दो प्रतिशत जनसंख्या वाले प्रदेश के खिलाडिय़ों ने ४० फीसदी पदक जीतकर पूरे ब्रह्मांड में हरियाणा का नाम चमका दिया है।

प्रदेश के खिलाड़ी मुर्राह भैंसों का घी-दूध खाकर ताकतवर हुए हैं। यहां के खिलाडिय़ों की तरह हरियाणा की मुर्राह भैंस का भी विश्व में डंका बजता है। मनोज की ताकत बरकरार रहे इसलिए उसे मुर्राह भैंस का तोहफा दिया गया है।

मनोज को मुर्राह भैंस देने की सोच अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर कांग्रेस के राष्टï्रीय अध्यक्ष शमशेर सिंह सुरजेवाला की थी। उनका मानना है कि सभी खिलाडिय़ों को मुर्राह भैंस दी जाए इसलिए कैथल के नागरिकों ने मनोज को यह भैंस तोहफे में दे दी। लोकनिर्माण मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मनोज को भैंस और ५० हजार रुपए नकद देकर सम्मानित किया।

मुर्राह नस्ल की भैंस को डोगरा गेट की डेयरी से खरीदा गया है। भैंस की कीमत ७० हजार रुपए है और एक दिन में १७ लीटर दूध देती है। हरियाणा के लोगों के स्वास्थ्य के पीछे मुर्राह भैंस का योगदान सबसे ज्यादा है। इन्हीं भैंसों का दूध-घी खाकर ही हरियाणा की माटी से विश्व विजेता निकल रहे हैं। भैंस देकर यह भी संदेश दिया गया है कि आने वाली खिलाडिय़ों की जो पौध तैयार हो रही है, वह भी भैंस और गाय का दूध और घी खाएं।

हिंदुस्तान के लोग भी यह जानना चाहते हैं कि हरियाणा में खेल सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद ऐसी कौन सी ताकत है जो हरियाणा के खिलाडिय़ों को पदक दिला रही है। इसके पीछे प्रदेश का खानपान ही काम कर रहा है। खासकर मुर्राह भैंस का दूध और घी ही खिलाडिय़ों के लिए बेजोड़ ताकत का काम कर रहा है। अन्य प्रदेशों के खिलाड़ी भी इससे सीख ले

सकते हैं।

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